aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "رعنائی_جمال"
किस की रानाई-ए-ख़याल है तूतेरी रानाई-ए-जमाल हैं हम
रानाई-ए-जमाल का आलम न पूछिएइक बार देख ले जो उसे देखता रहे
रानाई-ए-जमाल है मौज़ू-ए-गुफ़्तुगूहालात-ए-हाज़िरा पे तुम्हारी नज़र नहीं
तुम मिरे दिल में क्यूँ नहीं आतेशहर-ए-र'अनाई-ए-जमाल है ये
अल्लह रे हुस्न-ए-दोस्त की रानाई-ए-जमालहो जाए महव-ए-दीद न सारा जहाँ कहीं
जल्वा-फरोज़ वो हैं ब-रा'नाई-ए-जमालऔर इंफ़ि’आल-ए-ज़ौक़-ए-तबी'अत न पूछिए
रानाई-ए-जमाल-ए-गुल-अफ़शाँ की ख़ैर होअब हुस्न-ए-दिलरुबा के नज़ारे नहीं रहे
हद्द-ए-पर्वाज़-ए-जमाल आप की अंगड़ाई हैइस से आगे मिरे एहसास की रा'नाई है
निसार होने लगा है जमाल-ए-रंग-ए-शफ़क़'अली' बयान न कर बेड़ियों की रा'नाई
तिरे जमाल से थी ज़िंदगी में रानाईमिरे वजूद का तू ही अज़ल से महवर था
रुस्वा किया शु'ऊर को दानाई छीन लीजेहल-ए-ख़िरद ने आँखों से बीनाई छीन ली
हर पैकर-ए-रानाई ने मुझे तेरी ही याद दिलाई हैकुछ इश्क़ मिरा हरजाई है कुछ हुस्न तिरा हरजाई है
पंखुड़ी कोई गुलिस्ताँ से सबा क्या लाईदूर तक निकहत-ए-गुल ख़ाक उड़ाती आई
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँवो शब-ओ-रोज़ ओ माह-ओ-साल कहाँ
रानाई-ए-बहार बढ़ाने के वास्तेतेरा जमाल तेरी अदा माँगता हूँ मैं
ख़िज़ाँ चमन में यूँ मस्ताना-वार गुज़री हैगुमाँ ये होता है जैसे बहार गुज़री है
दुनिया-ए-फ़िक्र-ए-नौ का तमन्नाई बन गयाहर आदमी हयात का शैदाई बन गया
नशात-ए-नग़्मा भी है मस्ती-ए-ख़ुमार भी हैतिरे जमाल में रानाई-ए-बहार भी है
रंगीन साअतों में कहाँ वो मलाहतेंपरछाइयों का जाल है रानाइयों में भी
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