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ग़ज़ल
होगी जब नालों की अपने ज़ेर गर्दूं बाज़-गश्त
मेरे दर्द-ए-दिल की शोहरत जा-ब-जा हो जाएगी
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
ग़ज़ल
फ़रासत रिज़वी
ग़ज़ल
अपने घर का साज़-ओ-सामाँ हम ने गिरवी रख दिया
हँसते हँसते ज़हर पीने का हुनर देखेगा कौन
फ़ारूक़ रहमान
ग़ज़ल
बिकता हूँ ज़र-ए-मेहर हो बाज़ार-ए-वफ़ा में
इन मूलों गिराँ नें हों ख़रीदार के नज़दीक
ईजाद बुरहानपुरी
ग़ज़ल
काफ़िर नफ़स हर एक का तरसा ज़र कूँ पाया बख़्तों सीं
आतिश की पूजा में गुज़री उम्र तमाम उन गब्रों को
नाजी शाकिर
ग़ज़ल
ला के दुनिया में हमें ज़हर-ए-फ़ना देते हैं
हाए इस भूल-भुलय्याँ में दग़ा देते हैं