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ग़ज़ल
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
मुझ को एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी
सुदर्शन फ़ाकिर
ग़ज़ल
जिस्म की बोरी से बाहर भी कभी निकल आऊँगा
अभी तो इस पर ख़ुश हूँ उस ने ज़िंदा छोड़ दिया है
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
नींद के ज़िंदान में रहने दिया है ख़्वाब को
आँख खोली और दिल का दर मुक़फ़्फ़ल कर दिया
नाज़िया ग़ौस
ग़ज़ल
ज़िंदा रहने की मिरे दिल में नहीं अब ख़्वाहिश
इस क़दर तू ने मुझे ऐ मिरे ग़म तोड़ दिया