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ग़ज़ल
उस रोज़ मियाँ मिल कर नज़रों को चुराते थे
तुझ याद में ही साजन करते हैं मुदारातें
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़ज़ल
ज़र्रे में सूरज और सूरज में ज़र्रे रौशन रहता है
अब मन में साजन रहते हैं और साजन में मन रहता है
क़य्यूम नज़र
ग़ज़ल
अकेली क्यूँ रहे बिरहन ये बारिश ने कहा मुझ से
बुला ले पास तू साजन ये बारिश ने कहा मुझ से
दुआ अली
ग़ज़ल
साँझ-सवेरे फिरते हैं हम जाने किस वीराने में
सावन जैसी धूप लिखी है क़िस्मत के हर ख़ाने में
हसन रिज़वी
ग़ज़ल
साजन की यादें भी 'ख़ावर' किन लम्हों आ जाती हैं
गोरी आटा गूँध रही थी नमक मिलाना भूल गई
ख़ावर अहमद
ग़ज़ल
प्रेम के बंधन में बंध कर साजन इतनी दूरी क्यूँ
तुम भी प्यासे प्यासे बादल प्यासी प्यासी धरती मैं
नसरीन नक़्क़ाश
ग़ज़ल
हुसना सरवर
ग़ज़ल
दूर कहीं परदेस में जब से मेरा साजन रहता है
सावन-रुत के बाद भी मेरी आँख में सावन रहता है