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ग़ज़ल
मजबूरी में हँसता जोकर प्यासा हाथी भूके शेर
अब सर्कस में बैठ जा प्यारे खेल तमाशा सारा देख
इक़बाल असलम
ग़ज़ल
गर रंग भबूका आतिश है और बीनी शोला-ए-सरकश है
तो बिजली सी कौंदे है परी आरिज़ की चमक फिर वैसी ही
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
ख़ुलूस-ए-दिल से सज्दा हो तो उस सज्दे का क्या कहना
वहीं काबा सरक आया जबीं हम ने जहाँ रख दी