आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سنگ_دل"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "سنگ_دل"
ग़ज़ल
तुझे कुछ भी ख़ुदा का तर्स है ऐ संग-दिल तरसा
हमारा दिल बहुत तरसा अरे तरसा न अब तरसा
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
संग-दिल यूँ भी मोहब्बत का सिला देते हैं
भूल कर अह्द-ए-वफ़ा रंज-ए-वफ़ा देते हैं
अब्दुल मजीद दर्द भोपाली
ग़ज़ल
कभी अब तुझ पे दिल ऐ संग-दिल आने नहीं देंगे
कि अब पत्थर से इस शीशे को टकराने नहीं देंगे
अमर अबदाबादी
ग़ज़ल
जिसे समझा है तू ऐ संग-दिल मय-ख़्वारियाँ मेरी
तिरे ख़ल्वत-कदे में हैं वो शब-बेदारियाँ मेरी
सोज़ होशियारपूरी
ग़ज़ल
मिरा दिल संग-दिल ने दिल का अरमाँ बन के लूटा है
ग़ज़ब है ख़ाना-ए-उल्फ़त को मेहमाँ बन के लूटा है
नाज़िश सिकन्दरपुरी
ग़ज़ल
ख़बर सुनते तो हैं उस संग-दिल के दिल में आने की
ख़ुदा मालूम क्या सूरत बने आईना-ख़ाने की
अहमद महफ़ूज़
ग़ज़ल
कलीम आजिज़
ग़ज़ल
महबूब ख़ाँ रौनक़
ग़ज़ल
मोहम्मद इश्तियाक़ आलम
ग़ज़ल
उस संग-दिल के दिल में मोहब्बत ने घर किया
मुद्दत के बाद आह ने अपनी असर किया
मुंशी शिव परशाद वहबी
ग़ज़ल
वो संग-दिल हुआ है इक संग-दिल पे आशिक़
आता है जी में सर को पथरों से फोड़ डालूँ