आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سکا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "سکا"
ग़ज़ल
हुस्न-ए-नज़र-फ़रेब में किस को कलाम था मगर
तेरी अदाएँ आज तो दिल में समा के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन-दिखा है वो शाइरी है
जो कह सका था वो कह चुका हूँ जो रह गया है वो शाइरी है