आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "سہراب"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "سہراب"
ग़ज़ल
तख़्त-नशीनों का क्या रिश्ता तहज़ीब-ओ-आदाब के साथ
ये जब चाहें जंग करा दें रुस्तम की सोहराब के साथ
रहबर जौनपूरी
ग़ज़ल
'मुसहफ़ी' आप ही हम क़त्ल हैं अपने हाथों
वर्ना कीं ख़्वाह तू रुस्तम है न सोहराब है याँ
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
शुक्र-ए-ख़ुदा कि बाज़ू-ए-क़ातिल में इन दिनों
पैदा है ज़ोर-ए-रुस्तम-ओ-सुहराब का ख़वास
मुंशी खैराती लाल शगुफ़्ता
ग़ज़ल
सीना मिरा कर देती है अफ़गार सितम-गर
सोहराब हूँ मैं और है रुस्तम शब-ए-फ़ुर्क़त
मुंशी देबी प्रसाद सहर बदायुनी
ग़ज़ल
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है