आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "شگن"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "شگن"
ग़ज़ल
मिल ऐसे मुझ से गुमान हो ला-तअल्लुक़ी का
मैं दोस्ती के लिए बहुत बद-शगुन रहा हूँ
मुसव्विर सब्ज़वारी
ग़ज़ल
मय-कदे में शैख़ का आना शगुन अच्छा नहीं
होश की ले साक़िया रिंदों को बहकाने को है
अब्दुल करीम मजरूह सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
ख़्वाब मेरे यूँ हैं 'ताबिश' जिस तरह पानी पे रेत
ये शगुन अच्छा नहीं है दीदा-ए-नम के लिए
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
शिकन से लहजे की दिल में दराड़ पड़ती है
सो बे-रुख़ी तेरे माथे के बल से नापते हैं