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ग़ज़ल
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
जो मैं सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा
तिरा दिल तो है सनम-आश्ना तुझे क्या मिलेगा नमाज़ में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
वो हिज्र की रात का सितारा वो हम-नफ़स हम-सुख़न हमारा
सदा रहे उस का नाम प्यारा सुना है कल रात मर गया वो