आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "صفا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "صفا"
ग़ज़ल
न वो रंग फ़स्ल-ए-बहार का न रविश वो अब्र-ए-बहार की
जिस अदा से यार थे आश्ना वो मिज़ाज-ए-बाद-ए-सबा गया
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
सिर्फ़ ज़ाहिर हो गया सरमाया-ए-ज़ेब-ओ-सफ़ा
क्या तअ'ज्जुब है जो बातिन बा-सफ़ा मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
या रब ये जहान-ए-गुज़राँ ख़ूब है लेकिन
क्यूँ ख़्वार हैं मर्दान-ए-सफ़ा-केश ओ हुनर-मंद
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ता-साफ़ करे दिल न मय-ए-साफ़ से सूफ़ी
कुछ सूद-ओ-सफ़ा इल्म-ए-तसव्वुफ़ नहीं करता
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
गो करते हैं ज़ाहिर को सफ़ा अहल-ए-कुदूरत
पर दिल को नहीं करते सफ़ा कुछ नहीं करते
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
ख़ुद-ग़र्ज़ियों के साए में पाती है परवरिश
उल्फ़त को जिस का सिद्क़ ओ सफ़ा नाम रख दिया
गोपाल मित्तल
ग़ज़ल
मुलाइम पेट मख़मल सा कली सी नाफ़ की सूरत
उठा सीना सफ़ा पेड़ू अजब जोबन की नारी है