आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ضائع"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ضائع"
ग़ज़ल
काम हुए हैं सारे ज़ाएअ' हर साअ'त की समाजत से
इस्तिग़्ना की चौगुनी उन ने जूँ जूँ मैं इबराम किया
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
मिरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है
मुझे ज़ाएअ' न होने दो मुझे नींद आ रही है
मोहसिन असरार
ग़ज़ल
अबस इन शहरियों में वक़्त अपना हम किए ज़ाए
किसी मजनूँ की सोहबत बैठ दीवाने हुए होते