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ग़ज़ल
दिल से हुशियार कि है दिल ही तिरा 'ऐन हयात
मौत से भी है सिवा बे-ख़बर-ए-दिल होना
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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दिल से हुशियार कि है दिल ही तिरा 'ऐन हयात
मौत से भी है सिवा बे-ख़बर-ए-दिल होना
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