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ग़ज़ल
फ़िराक़-ए-यार में कुछ कहिए समझाया नहीं जाता
दिल-ए-वहशी किसी सूरत से बहलाया नहीं जाता
अनीस अहमद अनीस
ग़ज़ल
फ़िराक़-ए-यार में हूँ इस क़दर उदास उदास
बग़ैर बच्चों के जैसे हो घर उदास उदास
दीपक प्रजापति ख़ालिस
ग़ज़ल
फ़िराक़-ए-यार का ख़तरा विसाल-ए-यार में है
ख़िज़ाँ की फ़िक्र ख़िज़ाँ में न थी बहार में है
नातिक़ लखनवी
ग़ज़ल
मज़ा विसाल का क्या गर फ़िराक़-ए-यार न हो
नहीं है नशे की कुछ क़द्र अगर ख़ुमार न हो
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
किसी तरह से न बहला फ़िराक़-ए-यार में दिल
ख़िज़ाँ की तरह फ़सुर्दा रहा बहार में दिल
कौकब मुरादाबादी
ग़ज़ल
फ़िराक़-ए-यार में हूँ इस क़दर उदास-उदास
बग़ैर बच्चों के जैसे हो घर उदास-उदास