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ग़ज़ल
यहाँ वो कौन है जो इंतिख़ाब-ए-ग़म पे क़ादिर हो
जो मिल जाए वही ग़म दोस्तों का मुद्दआ' होगा
जौन एलिया
ग़ज़ल
ब-रोज़-ए-हश्र हाकिम क़ादिर-ए-मुतलक़ ख़ुदा होगा
फ़रिश्तों के लिखे और शैख़ की बातों से क्या होगा
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
उस की बाज़ी उस के मोहरे उस की चालें उस की जीत
उस के आगे सारे क़ादिर माहिर शातिर कुछ भी नहीं
दीप्ति मिश्रा
ग़ज़ल
तिरी क़ुदरत की क़ुदरत कौन पा सकता है क्या क़ुदरत
तिरे आगे कोई क़ादिर कहा सकता है क्या क़ुदरत
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बदली हुई नज़रों से अब भी अंदाज़ पुराने माँगे है
दिल मेरा कितना मूरख है वो बीते ज़माने माँगे है
क़ादिर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
अपे चे कहता अपे चे सुनता अपे है दाना अपे है बीना
अपे चे क़ाइम रहे हमेशा अपे चे क़ादिर अपे तवाना
अलीमुल्लाह
ग़ज़ल
किस क़दर रंज-ओ-मुसीबत का मुरक़्क़ा हूँ मैं
काँप उठता है मिरा दिल तिरी याद आने से