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ग़ज़ल
हर ज़ेहन को सौदा हुआ हर आँख ने कुछ पढ़ लिया
लेकिन सर-ए-क़िर्तास-ए-जाँ मैं ने लिखा कुछ भी नहीं
शहपर रसूल
ग़ज़ल
कोई तश्बीह का ख़ुर्शीद न तलमीह का चाँद
सर-ए-क़िर्तास लगा हर्फ़-ए-बरहना अच्छा
अख़्तर हुसैन जाफ़री
ग़ज़ल
मेरे अफ़्कार को देती है जिला उस की जफ़ा
ग़म न होते तो ये क़िर्तास सँवरता ही नहीं
शफ़ीक़ जौनपुरी
ग़ज़ल
ज़बानी याद कर लो फिर ये ख़ाल-ओ-ख़त नहीं होंगे
क़रीब-ए-शो'लगी क़िर्तास है मैं जाने वाला हूँ
शाहिद ज़की
ग़ज़ल
क़िर्तास ओ क़लम हाथ में है और शब-ए-मह है
ऐ रब्ब-ए-अज़ल खोल दे जो दिल में गिरह है
मोहम्मद इज़हारुल हक़
ग़ज़ल
सफ़्हा-ए-क़िर्तास है या ज़ंग-ख़ुर्दा आईना
लिख रहे हैं आज क्या अपने सुख़न-वर देखना
हिमायत अली शाएर
ग़ज़ल
दिल के क़िर्तास पे इक लफ़्ज़ मोहब्बत लिखना
जो कभी इश्क़ में की थी वो रियाज़त लिखना
फ़हमीदा मुसर्रत अहमद
ग़ज़ल
जिन्हें क़िर्तास पर लाऊँ तो इक हंगामा हो जाए
शब-ए-तन्हाई में अक्सर कुछ ऐसे शे'र ढलते हैं