aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "لگام"
मुँह-फट था बे-लगाम था रुस्वा था ढीट थाजैसा भी था वो दोस्तो महफ़िल की जान था
ख़्वाहिशें जाने किस तरफ़ ले जाएँख़्वाहिशों को न बे-लगाम करो
सुख़न का तौसन-ए-चालाक बे-लगाम नहींहमें है पास-ए-रिवायत सो हैं नकेल में हम
इक धमा-चौकड़ी है सीने मेंये कहीं बे-लगाम दिल तो नहीं
ये कौन हैं कि ख़ुदा की लगाम थामे हुएपड़े हुए हैं क़नाअत के शामियानों में
नकेल डालनी है नफ़्स के इरादों परबिना लगाम के घोड़े थमा नहीं करते
ज़ुल्म ही अहमक़ों की मुँह-ज़ोरीतंग ये बे-लगाम करते हैं
नुमू को रोक क़लम को लगाम दे 'अरशद'कि ये ग़ज़ल तिरे पर्दे उठाना चाहती है
ज़बाँ फिसल के तिरी शान तुझ से छीनेगीलगाम दे तू उसे मेरे यार चुप ख़ामोश
ज़िंदगी को हराम मत करनाशौक़ को बे-लगाम मत करना
ऐ रह-गुज़ार-ए-सिलसिला-ए-इश्क़-ए-बे-लगामजाना कहाँ है तू ने बताया नहीं मुझे
बड़े बड़ों को ठिकाने लगा दिया उस नेये इश्क़ लाश भी सहरा के पार फेंकता है
हर ख़ुशी की मौत हैंबे-लगाम ख़्वाहिशें
बिना लगाम के बैठा दिया है मालिक नेतू ख़्वाह-मख़ाह समझता है शहसवार मुझे
बड़े मज़े की सवारी है दिल का ये टट्टूलगाम कस के रखो और ढील भी रक्खो
हो न समाज बीच में इश्क़ हो यूँ स्पीड मेंलारी चले ब्रेक-बिन घोड़ा लगाम के बग़ैर
क्या ख़बर थी 'इश्क़ भी इक रोग हैवर्ना काफ़िर दिल को दे देती लगाम
खाता नहीं फ़रेब-ए-तमन्ना-ए-दो-जहाँख़ूगर नहीं है तौसन-ए-हिम्मत लगाम का
अपनी आँखों पे कुछ नज़र रखिएलोग हैं बे-लगाम आँखों में
जो ज़बाँ खुले तो रिश्तों की लगाम छूटती हैजिसे कह दिया हो अपना वो रहा कहाँ हमारा
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