आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ماورا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "ماورا"
ग़ज़ल
समझ में न आए तो मेरी ख़मोशी को दिल पर न लेना
कि ये अक़्ल वालों की दानिस्त से मावरा तजरबा है
जव्वाद शैख़
ग़ज़ल
साबिर ज़फ़र
ग़ज़ल
कुछ उन का हुस्न भी था मावरा मिसालों से
कुछ अपना इश्क़ भी हम बे-मिसाल रखते थे
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
लग़्ज़िशों से मावरा तू भी नहीं मैं भी नहीं
दोनों इंसाँ हैं ख़ुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं