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ग़ज़ल
मिस्ल-ए-बुलबुल ज़मज़मों का ख़ुद यहाँ इक रंग है
अरग़नूँ इस अंजुमन में ख़ारिज-अज़-आहंग है
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
नूह नारवी
ग़ज़ल
है बजा गर होवे ग़ज़ल-ख़्वाँ मिस्ल-ए-बुलबुल दिल मिरा
नौ-बहार-ए-गुलशन-ए-दीदार कूँ देखा न था
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
बस मुझ को दाद मिल गई मेहनत वसूल है
सुन ले ग़ज़ल ये बुलबुल-ए-हिन्दुस्ताँ कहीं
आग़ा शाइर क़ज़लबाश
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बुलबुल तो हूँ 'क़ाएम' मैं पर उस बाग़ का जिस में
बे-रुतबा है मिस्ल-ए-ख़स-ओ-ख़ाशाक मोहब्बत
क़ाएम चाँदपुरी
ग़ज़ल
बुरा ही क्या था जो आप अपनी मिसाल होते कमाल होते
किसी तरह से जो टूटे रिश्ते बहाल होते कमाल होते
आबिद उमर
ग़ज़ल
मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही
ग़ज़ल
बे-आब-ओ-ताब मंसब-ए-बुलबुल हुआ है आज
ज़ाग़-ओ-ज़ग़न को मिल गया है इख़्तियार क्या