आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مراقبہ"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "مراقبہ"
ग़ज़ल
मैं तुझ को पा कर ही मुतमइन हूँ अब और कोई तलब नहीं है
जो आज तक था नसीब से वो मुतालबा ख़त्म हो गया है
महशर आफ़रीदी
ग़ज़ल
असर सोज़-ए-मोहब्बत का क़यामत बे-मुहाबा है
कि रग से सँग में तुख़्म-ए-शरर का रेशा पैदा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
उसी एक फ़र्द के वास्ते मिरे दिल में दर्द है किस लिए
मिरी ज़िंदगी का मुतालिबा वही एक फ़र्द है किस लिए