आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "مستور"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "مستور"
ग़ज़ल
हिज्र की शब को अगर काटे तो फिर है रोज़-ए-वस्ल
नीश के पर्दे में देखा नोश भी मस्तूर है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ग़ज़ल
मुनव्वर जिस के दम से थीं हमारी ज़िंदगी 'मीता'
वही महताब गर मस्तूर हो जाए तो क्या कीजे
अमीता परसुराम मीता
ग़ज़ल
ये सइ-ए-ज़ब्त-ए-ग़म आँखों में आँसू रोकने वाले
सफ़ीनों में कहीं तूफ़ान भी मस्तूर होता है
आमिर उस्मानी
ग़ज़ल
आप की हस्ती में ही मस्तूर हो जाता हूँ मैं
जब क़रीब आते हो ख़ुद से दूर हो जाता हूँ मैं