आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "منکشف"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "منکشف"
ग़ज़ल
ये मेरे होने से और न होने से मुन्कशिफ़ है
कि रज़्म-ए-हस्ती में क्या हूँ मैं और क्या नहीं हूँ
पीरज़ादा क़ासीम
ग़ज़ल
तसव्वुर मुन्कशिफ़-अज़-बाम हो जाने से डरता हूँ
अता-ए-कश्फ़ के इत्माम हो जाने से डरता हूँ
अली मुज़म्मिल
ग़ज़ल
डर की जब सारी हक़ीक़त मुन्कशिफ़ हम पर हुई
ख़ुद-बख़ुद डर के सभी साए अचानक हट गए
आनन्द सरूप अंजुम
ग़ज़ल
ये सब ख़ुश-पोश चेहरे हो चुके हैं मुन्कशिफ़ मुझ पर
मैं उन के दरमियाँ क्यूँ जामा-ए-महशर में रहता हूँ