आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "موا"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "موا"
ग़ज़ल
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
क्यूँकर न ख़ुश हो सर मिरा लटक्का के दार में
क्या फल लगा है नख़्ल-ए-तमन्ना-ए-यार में
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
शान-ए-तग़ाफ़ुल अपने नौ-ख़त की क्या लिखें हम
क़ासिद मुआ तब उस के मुँह से जवाब निकला
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बेकल उत्साही
ग़ज़ल
वो सपना सा है साया सा वो मुझ में मोह-माया सा
वो इक दिन छूट जाना है अभी हासिल सा लगता है
भवेश दिलशाद
ग़ज़ल
'हबीब' अपनी ग़ज़ल में भी हो वो सोज़-ओ-गुदाज़
जो दिल को मोह ले कान्हा की बाँसुरी की तरह