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ग़ज़ल
अभी तक तो तिरी यादें मिरी मीरास थीं लेकिन
तसव्वुर में कहाँ से इक नया चेहरा निकल आया
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
इरफ़ान सत्तार
ग़ज़ल
अपनी मीरास में हैं दश्त-ओ-जबल ऐ वहशत
जा-नशीं क़ैस के हैं वारिस-ए-फ़र्हाद हैं हम