आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "نشو"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "نشو"
ग़ज़ल
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
जा-ए-इस्तिहज़ा है इशरत-कोशी-ए-हस्ती 'असद'
सुब्ह ओ शबनम फ़ुर्सत-ए-नश्व-ओ-नुमा-ए-ख़ंदा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
नश्शे के पर्दे में है महव-ए-तमाशा-ए-दिमाग़
बस-कि रखती है सर-ए-नश-ओ-नुमा मौज-ए-शराब
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
समझ इस फ़स्ल में कोताही-ए-नश्व-ओ-नुमा 'ग़ालिब'
अगर गुल सर्व के क़ामत पे पैराहन न हो जावे
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
वही नश्व-ओ-नुमा-ए-सब्ज़ा है गोर-ए-ग़रीबाँ पर
हवा-ए-चर्ख़-ए-ज़ंगारी जो आगे थी सो अब भी है
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
रिश्ता भी है नश्व-ओ-नुमा का फ़र्क़ भी रौशन लम्हों का
सब्ज़ सरापा शाख़-ए-बदन और जंगल की हरियाली में
ज़ेब ग़ौरी
ग़ज़ल
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
दिल-ए-बीमार रहे इश्क़ में क्यूँ कर सरसब्ज़
ख़ाक से दाने को है नश्व-ओ-नुमा तीसरे दिन
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
जिस्म की नश्व-ओ-नुमा सूरत-ए-अशिया-ए-ज़मीं
रू-ए-ख़ूबाँ फ़लकिय्यतत में आ जाता है
मोहम्मद आबिद अली आबिद
ग़ज़ल
टुक इक ऐ नसीम सँभाल ले कि बहार मस्त-ए-शराब है
वो जो हुस्न-ए-आलम-ए-नश्शा है उसे अब की ऐन-शबाब है
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
ख़्वाहिश-ए-नश्व-ओ-नुमा है मिरे दिल में लेकिन
जितना उठता हूँ कोई ख़ुद से घटाता है मुझे
शारिक़ जमाल
ग़ज़ल
आलम अगर है हादिस तो मुझ को तू बता दे
क्यूँ अब तलक है वो ही नाश्व-ओ-नुमा-ए-आलम