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ग़ज़ल
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
हुईं जिस पे तेरी नवाज़िशें वो बहार बन के सँवर गया
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
इक़बाल अज़ीम
ग़ज़ल
हिसाब-ए-दर्द तो यूँ सब मिरी निगाह में है
जो मुझ पे हो न सकीं वो नवाज़िशें लिखना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
तिरी ख़ुद-पसंद नवाज़िशें मिरा जी लुभा के गुज़र गईं
मगर उफ़ ये दीदा-ए-मुतमइन जो गदा-ए-राहगुज़ार है
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
वो गुज़ारिशें वो नवाज़िशें वो शिकायतें वो इनायतें
मिरे साथ उन को भी दे भुला मुझे भूल जा मुझे भूल जा
अफ़ज़ल पेशावरी
ग़ज़ल
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
सबा शाह
ग़ज़ल
ये इनायतें ये नवाज़िशें मिरे दर्द-ए-दिल की दवा नहीं
मुझे उस नज़र की तलाश है जो अदा-शनास-ए-वफ़ा न हो
कैफ़ इक्रामी
ग़ज़ल
तिरी बे-पनाह नवाज़िशें तिरी बे-हिसाब इनायतें
मिरी रू-सियाही-ए-गूनागूँ का हिसाब है न शुमार है
बेबाक भोजपुरी
ग़ज़ल
'माहिर'-ए-दिल-फ़गार पर आप की ये नवाज़िशें
फ़ितरत-ए-आशिक़ी भी दी दौलत-ए-शाइरी भी दी