आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "وحشتؔ_شوریدہ_سر"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "وحشتؔ_شوریدہ_سر"
ग़ज़ल
क़ुर्बान जाऊँ छोड़ तकल्लुफ़ की गुफ़्तुगू
कह कर पुकार 'वहशत'-ए-शोरीदा-सर मुझे
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
'वहशत' रुकें न हाथ सर-ए-हश्र देखना
उस फ़ित्ना-ख़ू का गोशा-ए-दामाँ ही क्यूँ न हो
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
कोई शोरीदा-सर पाबंद-ए-ज़िंदाँ हो नहीं सकता
बगूला अपनी ज़ंजीरों में भी आज़ाद होता है
वहशी कानपुरी
ग़ज़ल
नज़र फिराता है शोरीदा-सर बहुत 'शब्बीर'
उठा न बज़्म से ऐ बुत इसे ख़ुदा के लिए
सय्यद शब्बीर हसन रिज़वी
ग़ज़ल
तिरी झोली में ला डालेंगे क़र्ज़े इस मोहब्बत के
कि हम शोरीदा-सर हैं कब कोई एहसान रक्खा है
मक़सूद वफ़ा
ग़ज़ल
हमारे इश्क़ को अब आज़मा ले जिस का जी चाहे
कफ़न-बर्दोश मक़्तल में तिरे शोरीदा-सर निकले
नूर अहमद शैख़
ग़ज़ल
जिधर शैख़-ओ-बरहमन फिर रहे थे ढूँडते 'रिज़वी'
उसी जानिब तिरे शोरीदा-सर जाएँ तो क्या होगा