आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "پاسبان_کوئے_دوست"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "پاسبان_کوئے_دوست"
ग़ज़ल
तंग करते हैं हमें क्यूँ पासबान-ए-कू-ए-दोस्त
और हैं दो-चार दिन हम मेहमान-ए-कू-ए-दोस्त
रशीद रामपुरी
ग़ज़ल
जो कू-ए-दोस्त को जाऊँ तो पासबाँ के लिए
नहीं है ख़्वाब से बेहतर कुछ अरमुग़ाँ के लिए
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ग़ज़ल
दिल-दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू-ए-दोस्त
ख़ाक का इतना चमक जाना ज़रा दुश्वार था
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
वाइ'ज़ो हम क्या करेंगे ले के फ़िरदौस-ए-बरीं
बाग़-ए-जन्नत से कहीं बेहतर हमें है कू-ए-दोस्त
हामिद हुसैन हामिद
ग़ज़ल
ज़ख़्मी-ए-उल्फ़त हूँ मैं सेहत नहीं होगी मुझे
भर रही है दिल के ज़ख़्मों में हवाए कू-ए-दोस्त
रशीद लखनवी
ग़ज़ल
कोई दीवाना चला है हश्र में इस वज़्अ' से
चाक ता-दामन गरेबाँ मुँह पे ख़ाक-ए-कू-ए-दोस्त
मिर्ज़ा अल्ताफ़ हुसैन आलिम लखनवी
ग़ज़ल
याद कर के अपनी बर्बादी को रो देते हैं हम
जब उड़ाती है हवा-ए-तुंद ख़ाक-ए-कू-ए-दोस्त
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
किस क़दर साबित क़दम हैं रह-रवान-ए-कू-ए-दोस्त
जाएँगे फिर उन की कोई जान ले ले जाएँगे