आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "پنڈی"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "پنڈی"
ग़ज़ल
अपनी तो गुज़री है अक्सर अपनी ही मन-मानी में
लेकिन अच्छे काम भी हम ने कर डाले नादानी में
विलास पंडित मुसाफ़िर
ग़ज़ल
क्यूँ आ गए हैं बज़्म-ए-ज़ुहूर-ओ-नुमूद में
आज़ाद मर्द हो के रहे हम क़ुयूद में
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
जब हो चुकी शराब तो मैं मस्त मर गया
शीशे के ख़ाली होते ही पैमाना भर गया
पंडित दया शंकर नसीम लखनवी
ग़ज़ल
किस रंग में बयान करें माजरा-ए-क़ल्ब
देखा जो हम ने जल्वा-ए-हैरत-फ़ज़ा-ए-क़ल्ब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
ग़ज़ल
जीवन है पल पल की उलझन किस किस पल की बात करें
इन लम्हों को भूल के हम तुम गीत ग़ज़ल की बात करें
विलास पंडित मुसाफ़िर
ग़ज़ल
मरना मरीज़-ए-इश्क़ के हक़ में शिफ़ा हुआ
अच्छा हुआ नजात मिली क्या बुरा हुआ
पंडित जगमोहन नाथ रैना शौक़
ग़ज़ल
शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें
कुछ ख़ुदा के क़हर कुछ इनआम की बातें करें
हरी चंद अख़्तर
ग़ज़ल
बैठे हो सर-ए-राहगुज़र क्यों नहीं जाते
तुम लोग तो घर वाले हो घर क्यों नहीं जाते