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ग़ज़ल
एक तो नैनाँ कजरारे और तिस पर डूबे काजल में
बिजली की बढ़ जाए चमक कुछ और भी गहरे बादल में
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
तुम ऐसा नादान जहाँ में कोई नहीं है कोई नहीं
फिर इन गलियों में जाते हो पग पग ठोकर खाते हो
हबीब जालिब
ग़ज़ल
तोड़ के नाता हम-सजनों से पग पग वो पचताए हैं
जब जब उन से आँख मिली है तब तब वो शरमाए हैं
जमील अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
अब चलना है तो चलना है क्या पाँव के छालों को देखें
इस धरती की पग-डंडी से कोई ठिकाना पा जाएँ
सालिक लखनवी
ग़ज़ल
पग पग काँटे मंज़िलों सहरा कोसों जंगल बेले हैं
सफ़र-ए-ज़ीस्त कठिन है यारो राह में लाख झमेले हैं
अफ़ज़ल परवेज़
ग़ज़ल
ज़ुल्म जिस ने किए वो शख़्स बना है मुंसिफ़
ज़ुल्म पर ज़ुल्म ने मज़लूम को मारा है बहुत
एलिज़ाबेथ कुरियन मोना
ग़ज़ल
आँचल में छुपी ममता की मया कथरी में दबी भगवन की दया
लाता है कोई संदेश नया पल पल में बदलना करवट का
बेकल उत्साही
ग़ज़ल
नैना अँझूँ सूँ धोऊँ पग अप पलक सूँ झाडूँ
जे कुई ख़बर सो लियावे मुख फूल का तुम्हारा
क़ुली क़ुतुब शाह
ग़ज़ल
उस को मेरे अफ़्साने में क्या जाने क्या बात मिली
चाँद से रुख़ पर ग़म के बादल आँखों में बरसात मिली
अक़ील नोमानी
ग़ज़ल
गाम रखूँ किस के सर पर अब पूछे मुझ से इक वामन
इक पग में जग नाप लिया फिर सर मेरा भी कम लागे