aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "چاؤ"
हर ग़ुंचा बड़े चाव से खिलता है चमन मेंहर दौर का मंसूर सर-ए-दार चले है
फ़ारिस! हमें भी शौक़-ए-मुलाक़ात है मगरपूरे करेंगे बा'द में सब चाव घर रहो
तुझ से कहना था कुछ प लगता हैमर ही जाएँगे जी में चाव लिए
लिक्खा था बड़े चाव से जिस नाम को दिल परवो नाम मिटाने में ज़रा वक़्त लगेगा
आशिक़ कहें जो होगे तो जानोगे क़द्र-ए-'मीर'अब तो किसी के चाहने का तुम को चाव है
हुजूम-ए-आह है आँखों से अश्क ढलते हैंभरे हैं चाव जो दिल में सो यूँ निकलते हैं
आँगन में लगाया था शजर चाव से मैं नेफलने पे जो आया तो समर कैसा लगा है
उदास रात के आँगन में दर्द की देवीबड़े ही चाव से ज़ुल्फ़ें सँवारे शाम के बाद
किस लगन किस तमन्ना से किस चाव से मौसम-ए-रंग-ओ-निकहत को दी थी सदाक्या ख़बर थी कि अब्र-ए-बहार-आफ़रीं आग के फूल गुलशन पे बरसाएगा
दस्तरस वाँ ज़रा नहीं और हाएदिल में क्या क्या हमारे चाव नहीं
ऐ अजल चाव से बहुत हम नेनाम तेरा विसाल रक्खा है
देखने का चाव ये ऐनक उतरती ही नहींदेखो तुम अपनी तरफ़ ऐ मेहरबाँ तुम हो कहाँ
जिंस-ए-वफ़ा के चाव में आए थे सुब्ह-दमबोली लगी तो ख़ुद भी ख़रीदार बिक गए
साक़िया किस को हवस है कि पियो और पिलाओअब वो दिल ही न रहा और उमंगें न वो चाव
दिल जो मैं गुम किया तो तुम को क्यायारो इस बात का करो न चुवाव
निकला था किस की नाव में साहिल के चाव मेंअब तक हूँ मैं बहाव में लंगर शिकस्ता है
दो दिन के चाव-चूज़ 'हसन' के वो हो चुकेफिर रफ़्ता रफ़्ता अपने क़रीने पे आ रहे
जिस तरह बच्चा कोई पहला खिलौना रक्खेमेरे मासूम दिनों का है तो चाव पहला
नदी में प्यार की यकसाँ चढ़ाव है अब तकवही है शौक़ वही दिल में चाव है अब तक
चाव जो दिल में भरे हैं प्यारेतुझ से कहता हुआ शरमाता हूँ
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