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ग़ज़ल
मेरे रोने पर किसी की चश्म गिर्यां हाए हाए
वो गुल-ए-तर वो फ़ज़ा-ए-शबनमिस्ताँ हाए हाए
बासित भोपाली
ग़ज़ल
सीना-ए-पुर-सोज़ यकसू चश्म-ए-गिर्यां यक तरफ़
दिल बचे क्या यक तरफ़ आतिश है तूफ़ाँ यक तरफ़