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ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
तुझे घाटा न होने देंगे कारोबार-ए-उल्फ़त में
हम अपने सर तिरा ऐ दोस्त हर एहसान लेते हैं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ये कारोबार-ए-उल्फ़त है यहाँ दिल को बड़ा रखना
मोहब्बत की तिजारत में ख़सारे लाज़मी होंगे
अशफ़ाक़ अहमद साइम
ग़ज़ल
इक़बाल कौसर
ग़ज़ल
'मजीद' अब दिल लगाना भी नहीं आता है लोगों को
जिसे देखो वही उल्फ़त में कारोबार करता है
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
ग़ज़ल
मैं ने तो बंद कर दिया उल्फ़त का कारोबार
अब कौन छेड़ता है मुझे दिल-लगी के साथ