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ग़ज़ल
आशिक़ों ही का जिगर है कि हैं ख़ुरसन्द-ए-जफ़ा
काफ़िरों की है ये हिम्मत न मुसलमानों की
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
दिल-ए-नालाँ तुम्हारे हल्क़ा-ए-गेसू में कहता है
मैं हिन्दोस्तान में हूँ काफ़िरों ने मुझ को घेरा है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
हमीं हैं पीर-ए-मुग़ाँ काफ़िरों के ऐ 'आबिद'
हमीं को दावा-ए-ईमाँ है देखिए क्या हो
सय्यद आबिद अली आबिद
ग़ज़ल
ये रह-ए-'इश्क़ है याँ नाज़ न कर ऐ ज़ाहिद
काफ़िरों का वही रुत्बा है जो दीं-दारों का
राफ़्त बहराइची
ग़ज़ल
वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
भरी है दिल में जो हसरत कहूँ तो किस से कहूँ
सुने है कौन मुसीबत कहूँ तो किस से कहूँ