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ग़ज़ल
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भँवर है जिस की
तुम ने अच्छा ही किया मुझ से किनारा कर के
राहत इंदौरी
ग़ज़ल
फ़ना निज़ामी कानपुरी
ग़ज़ल
मोहब्बत में जो डूबा हो उसे साहिल से क्या लेना
किसे इस बहर में जा कर किनारा याद रहता है