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ग़ज़ल
ऐ फ़लक उन को नहीं भाता सितारों का भी जोड़
कहते हैं मेरी बला पहने कुँवारी चूड़ियाँ
मुनीर शिकोहाबादी
ग़ज़ल
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
ख़याल-ओ-ख़्वाब में डूबी दीवार-ओ-दर बनाती हैं
कुँवारी लड़कियाँ अक्सर हवा में घर बनाती हैं
ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर
ग़ज़ल
कुँवारी कोई मछली शब में तन्हा घर से न निकले
कि शब में फिरते हैं भूके कई घड़ियाल सड़कों पर
अनस नबील
ग़ज़ल
लड़कियाँ साँवले रंगों की कुँवारी ही रहीं
सब के सब मर गए मजनूँ के घराने वाले