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ग़ज़ल
दहकता है कलेजे में कसक का कोएला अब तक
अभी तक दिल के बाम-ओ-दर पे हिज्र ओ ग़म के साए हैं
किश्वर नाहीद
ग़ज़ल
मत पूछिए सड़ सड़ के मैं होता रहा कोएला
जब मैं ने सुनी चाय की सुड़ सुड़ मुतवातिर
सय्यद सलमान गीलानी
ग़ज़ल
भिक्षु-दानी, प्यासा पानी, दरिया सागर, जल गागर
गुलशन ख़ुशबू, कोयल कूकू, मस्ती दारू, मैं और तू