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ग़ज़ल
बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएँ
फ़ज़ा में ख़ुशबू नई नई है गुलों में रंगत नई नई है
शबीना अदीब
ग़ज़ल
क़मर जलालवी
ग़ज़ल
नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल-लगी होगी