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ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
आँसू थे सो ख़ुश्क हुए जी है कि उमडा आता है
दिल पे घटा सी छाई है खुलती है न बरसती है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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आँसू थे सो ख़ुश्क हुए जी है कि उमडा आता है
दिल पे घटा सी छाई है खुलती है न बरसती है