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ग़ज़ल
न बरहमन हूँ न मुल्ला न मौलवी न अतीत
जो पोथी दैर की पांचों ओ या हरम की किताब
क़ासिम अली ख़ान अफ़रीदी
ग़ज़ल
मुख़ालिफ़ आँधियों में अज़्म के दीपक जलाता हूँ
कभी जब वक़्त पड़ता है तो ख़ुद को आज़माता हूँ