आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अना-परस्ती"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "अना-परस्ती"
ग़ज़ल
'हिजाब' इस शहर-ए-ना-पुरसाँ में सब झगड़ा अना का है
सुरूर-ए-ख़ुद-परस्ती में ख़ुदी को कौन लिक्खेगा
हिजाब अब्बासी
ग़ज़ल
यही मेआ'र अब दुनिया में सुब्ह-ओ-शाम ठहरा है
हवा के साथ चलना ज़िंदगी का काम ठहरा है