आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अफ़्सुर्दगी"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "अफ़्सुर्दगी"
ग़ज़ल
मैं हूँ और अफ़्सुर्दगी की आरज़ू 'ग़ालिब' कि दिल
देख कर तर्ज़-ए-तपाक-ए-अहल-ए-दुनिया जल गया
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
बहुत पहले से अफ़्सुर्दा चले आते हैं हम तो
बहुत पहले कि जब अफ़्सुर्दगी होती नहीं थी
शाहीन अब्बास
ग़ज़ल
कुल्फ़त-ए-अफ़्सुर्दगी को ऐश-ए-बेताबी हराम
वर्ना दंदाँ दर दिल अफ़्शुर्दन बिना-ए-ख़ंदा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
अफ़्सुर्दगी भी रुख़ पे है उन के निखार भी
है आज गुल्सिताँ में ख़िज़ाँ भी बहार भी
पुरनम इलाहाबादी
ग़ज़ल
हम इश्क़ से निकल चुके अफ़्सुर्दगी में हैं
इक अजनबी के साथ हैं इक अजनबी के बा'द
अभिसार गीता शुक्ल
ग़ज़ल
अफ़्सुर्दगी भी हुस्न है ताबिंदगी भी हुस्न
हम को ख़िज़ाँ ने तुम को सँवारा बहार ने