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ग़ज़ल
अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
एक हम ही नहीं दुनिया से ख़फ़ा और भी हैं
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
सज्दा-गाह-ए-अहल-ए-दिल बा'द-ए-फ़ना हो जाइए
सफ़्हा-ए-हस्ती पे इक नक़्श-ए-वफ़ा हो जाइए
हिरमाँ ख़ैराबादी
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल मिलते नहीं अहल-ए-नज़र मिलते नहीं
ज़ुल्मत-ए-दौराँ में ख़ुर्शीद-ए-सहर मिलते नहीं
ज़हीर काश्मीरी
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल क्यूँकर रहें रहने के ये क़ाबिल नहीं
इस जगह पथर बहुत मिलते हैं लेकिन दिल नहीं
रियाज़ ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल मुश्किल में हैं अहल-ए-नज़र मुश्किल में हैं
आज मैं क्या मेरे सारे हम-सफ़र मुश्किल में हैं
असद भोपाली
ग़ज़ल
न होते अहल-ए-दिल अहल-ए-सितम जाने कहाँ जाते
ये बर्क़-अंदाज़ जल्वे आग बरसाने कहाँ जाते
ख़ान मंज़ूर
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल सादा तबी'अत हैं ये क्या करते हैं
हुस्न वालों से भी उम्मीद-ए-वफ़ा करते हैं
अब्दुस्समद ख़तीब
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल भी देखिए अब क्या से क्या करने लगे
शीशागर भी पत्थरों से मशवरा करने लगे