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ग़ज़ल
वर्ना मौजें लब-ए-साहिल भी डुबोतीं साहिल
मिरे जीने की कोई है जो दुआ करता है
अज़ीमुद्दीन साहिल साहिल कलमनूरी
ग़ज़ल
अपनी तक़दीर है तूफ़ानों से लड़ते रहना
अहल-ए-साहिल की तरफ़ हाथ बढ़ाते क्यूँ हो
मुश्ताक़ आज़र फ़रीदी
ग़ज़ल
अपनी तक़दीर है तूफ़ानों से लड़ते रहना
अहल-ए-साहिल की तरफ़ हाथ बढ़ाते क्यूँ हो
मुश्ताक़ आज़र फ़रीदी
ग़ज़ल
बस ज़रा बिफरी हुई मौजों की ख़ू माइल रही
अहल-ए-साहिल जानते तो थे भँवर में कौन है
अमीन राहत चुग़ताई
ग़ज़ल
सुकूँ के दिन गुज़र जाएँगे इक दिन अहल-ए-साहिल के
हम अहल-ए-मौज वो तूफ़ान लाएँगे सफ़ीने में
बदीउज़्ज़माँ सहर
ग़ज़ल
अलीम मसरूर
ग़ज़ल
अहल-ए-साहिल को भी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ हो जाए
क़तरा-ए-अश्क ज़रा सैल-ए-रवाँ हो जाना
फ़ैज़ुल हसन ख़्याल
ग़ज़ल
अहल-ए-साहिल रो रहे हैं क़तरे क़तरे के लिए
ज़र्फ़-ए-दरिया रो रहा है ज़र्फ़-ए-दरिया देख कर
मैकश नागपुरी
ग़ज़ल
ये बचपन के साथी की है क़ब्र 'साहिल'
जो सब को रुला कर यहाँ सो रहा है