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ग़ज़ल
न होते अहल-ए-दिल अहल-ए-सितम जाने कहाँ जाते
ये बर्क़-अंदाज़ जल्वे आग बरसाने कहाँ जाते
ख़ान मंज़ूर
ग़ज़ल
उस बूँद की अज़्मत को क्या अहल-ए-सितम जानें
इक बूँद जो आँसू की आँखों से टपकती है
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
ग़ज़ल
ऐ अहल-ए-सितम सुन लो पैग़ाम-ए-तग़य्युर हैं
ज़िंदान-ए-तख़य्युल में बजती हुई ज़ंजीरें
माया खन्ना राजे बरेलवी
ग़ज़ल
अजब अहल-ए-सितम अहल-ए-वफ़ा में ठन गई 'हैदर'
सितम करते हैं वो और ये मुकर्रर बोल उठते हैं
हैदर क़ुरैशी
ग़ज़ल
ये बात बता कर हम क्यों ग़म को करें रुस्वा
हैं अहल-ए-करम कितने हैं अहल-ए-सितम कितने
जोहर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
तेग़-ओ-ख़ंजर को अता करते हैं लफ़्ज़ों की नियाम
ज़ुल्म की करते हैं जब अहल-ए-सितम तय्यारी
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
किसी में दम नहीं अहल-ए-सितम से कुछ भी कहे
सितम-ज़दों को हर इक आ रहा है समझाने
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
दिल-ओ-ईमाँ तो नहीं हाँ मगर ऐ अहल-ए-सितम
जान हाज़िर है जो मंज़ूर ये नज़राना करें