आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "आटा"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "आटा"
ग़ज़ल
सवाब है या किसी जनम का हिसाब कोई चुका रहा हूँ
जो घर के आँगन में चिंटियों को मैं रोज़ आटा खिला रहा हूँ
भारत भूषण पन्त
ग़ज़ल
कलियों ने हर भँवरे, तितली से पूछा है उस का नाम
बाद-ए-सबा जिस फूल के घर से लौट के आना भूल गई
ख़ावर अहमद
ग़ज़ल
हुस्न-ए-ख़ुद-बीं न मिला हुस्न-ए-ख़ुद-आरा न मिला
जब मैं ससुराल गया एक भी साला न मिला
शौक़ बहराइची
ग़ज़ल
दुआएँ माँगते हैं वो हमारे रिज़्क़ की ख़ातिर
फ़क़ीरों के लिए थोड़ा सा आटा रख दिया जाए
रज़ा मौरान्वी
ग़ज़ल
क्या जोग समाधि-ओ-रसधी क्या कश्फ़-ओ-करामत जज़्ब-ओ-जुनूँ
सब आग हवा पानी मिट्टी सब दाल नमक और आटा है
अज़ीज़ क़ैसी
ग़ज़ल
केक बिस्कुट खाएँगे उल्लू-के-पट्ठे रात दिन
और शरीफ़ों के लिए आटा गिराँ हो जाएगा
हुसैन मीर काश्मीरी
ग़ज़ल
जब भी सोचने लगता हूँ मैं तेरे मेरे बारे में
आटा दलिया दफ़्तर मेरी आँखों में आ जाते हैं