आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "आरिज़-ए-गुल-अज़ार"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "आरिज़-ए-गुल-अज़ार"
ग़ज़ल
और ही रंग आज है आरिज़-ए-गुल-अज़ार का
ख़ून-ए-दिल अपना था मगर गो न रुख़-ए-तराज़ में
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ज़ल
आरिज़-ए-गुल में झलक है शाह के रुख़्सार की
ये कोई तारीफ़ है इतने बड़े सरकार की
महाराजा सर किशन परसाद शाद
ग़ज़ल
महव हूँ याद-ए-चेहरा-ए-शाहिद-ए-गुल-अज़ार में
अब ये ख़िज़ाँ-नसीब दिल जा के मिला बहार में
साक़िब लखनवी
ग़ज़ल
इस सर्व-ए-गुल-अज़ार की तर्ज़-ए-ख़िराम देख
ख़जलत से गड़ ज़मीन में शमशाद रह गया