आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "आशिक़-ए-शैदा"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "आशिक़-ए-शैदा"
ग़ज़ल
मौत से होती है 'शैदा' ज़िंदगी की परवरिश
हर नफ़स में ये हक़ीक़त मुश्तहर पाता हूँ मैं
शैदा अम्बालवी
ग़ज़ल
उन से कह दे ये कोई जा के पयाम-ए-'शैदा'
ध्यान रखना मिरा ऐ माह-लक़ा मेरे बा'द
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
बस एक ज़ात हज़रत-ए-'शैदा' की है यहाँ
देहली से रफ़्ता रफ़्ता सब अहल-ए-हुनर गए
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
ग़ज़ल
दू-ब-दू आशिक़-ए-शैदा से वो होगा क्यूँकर
आईने में भी जो मुँह देखते शरमाता है
मियाँ दाद ख़ां सय्याह
ग़ज़ल
रुमूज़-ए-आशिक़ी तो सातवीं मंज़िल है दरमाँ की
अभी तो अबजद-ए-मा'नी से तू पहचान पैदा कर
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
'शैदा' जो उन को घेरे हैं अग़्यार रात दिन
काँटों के भी हैं ढेर गुल-ए-तर के आस-पास
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
तुझ को उस मेहर-लक़ा से है जो उल्फ़त 'शैदा'
दाग़-ए-दिल देखना रश्क-ए-मह-ए-ताबाँ होगा
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
मिरी जाँ का है तालिब वो कि दिल से फिर गया अब दिल
ज़रा देखो तो 'शैदा' मो'जिज़ा उस आफ़त-ए-जाँ का
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
मैं ज़हर-ए-इश्क़-ए-ज़ुल्फ़ से 'शैदा' बचूँगा क्या
मुझ को ये साँप काट के यकसर पलट गया
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
चले है रोज़ ग़ैरों के गले पर तेग़-ए-तेज़ उस की
लहू के घोंट किस दिन आशिक़-ए-शैदा नहीं पीता