आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "इफ़्फ़त-ए-क़ल्ब"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "इफ़्फ़त-ए-क़ल्ब"
ग़ज़ल
इल्म का मक़्सूद है पाकी-ए-अक़्ल ओ ख़िरद
फ़क़्र का मक़्सूद है इफ़्फ़त-ए-क़ल्ब-ओ-निगाह
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
कमाल-ए-इफ़्फ़त-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र मफ़क़ूद है 'ख़ालिद'
ये रुत्बा मिल तो जाता है मगर आसाँ नहीं मिलता
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
ग़ज़ल
हालत-ए-क़ल्ब सर-ए-बज़्म बताऊँ क्यूँकर
पर्दा-ए-दिल में है इक पर्दा-नशीं का लालच
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
बुलबुल न बाज़ आइयो फ़रियाद-ओ-आह से
कब तक न होगी क़ल्ब-ए-गुल-ए-तर को इत्तिलाअ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
है इसी में क़ल्ब-ए-महज़ूँ शर्तिया कहता हूँ मैं
खोल मुट्ठी तेरी चोरी मह-लक़ा पकड़ी गई
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
जाता रहा क़ल्ब से सारी ख़ुदाई का इश्क़
क़ाबिल-ए-तारीफ़ है तेरे फ़िदाई का इश्क़