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ग़ज़ल
अहमद सलमान
ग़ज़ल
उस की महफ़िल में उन्हीं की रौशनी जिन के चराग़
मैं भी कुछ होता तो मेरा भी दिया होता नहीं
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
तरसती है निगाह-ए-ना-रसा जिस के नज़ारे को
वो रौनक़ अंजुमन की है उन्ही ख़ल्वत-गज़ीनों में
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
उन्हीं के दिल से कोई उस की अज़्मतें पूछे
वो एक दिल जिसे सब कुछ लुटा के लूट लिया
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
न पल बिछ्ड़ें पिया हम से न हम बिछड़े पियारे से
उन्हीं से नेह लागी है हमन को बे-क़रारी क्या